|| संसार दावानल स्तुति || संसार-दावा-नल-दाह-नीरं,संमोह-धूलि-हरने समीरं।माया-रसा-दरण-सार-सीरं,नमामि वीरं गिरि-सार-धीरं।1। भव-वनम्-सुर-दानव-मानवेन,चूला-विलोल-कमला-वलि-मालितानि।संपूरिता-भिन्नत-लोक-समिहितानी,कामं नमामि जिनराज-पदानि तानि।2। बोधगाधं सुपाद-पदवी-नीर-पूराभिरामं,जीव-हिंसा-विरल-लहरी-संगमा-गाह-देहं।चूल-वेलं गुरु-गम-मणि-संकुलं दूर-पारं,सारं-वीरा-गम-जल-निधिं सादरं साधु सेवा।3।{...}