संसार दावानल स्तुति
|| संसार दावानल स्तुति ||
संसार-दावा-नल-दाह-नीरं,
संमोह-धूलि-हरने समीरं।
माया-रसा-दरण-सार-सीरं,
नमामि वीरं गिरि-सार-धीरं।1।
भव-वनम्-सुर-दानव-मानवेन,
चूला-विलोल-कमला-वलि-मालितानि।
संपूरिता-भिन्नत-लोक-समिहितानी,
कामं नमामि जिनराज-पदानि तानि।2।
बोधगाधं सुपाद-पदवी-नीर-पूराभिरामं,
जीव-हिंसा-विरल-लहरी-संगमा-गाह-देहं।
चूल-वेलं गुरु-गम-मणि-संकुलं दूर-पारं,
सारं-वीरा-गम-जल-निधिं सादरं साधु सेवा।3।
अमूल-लोल-धूलि-बहुल-परि-माला-लिध-लोलालि-माला-,
झंकारा-राव-सारा-मल-दल-कमला-गार-भूमि-निवासे!।
छाया-संभार-सारे! वर-कमल-करे! तार-हरभिरामे!,
वाणी-संदोः-देहे! भव-विरह-वरं देहि मे देवी! सारम्.4.