श्री सिद्धाचलजी का पहला चैत्यवन्दन – तलेटी

( जय तलेटी करे )
सकल सुहंकर सिद्धक्षेत्र, सिद्धाचल सुणीओ,
सुर नर नरपति असुर खेचर, निकरे जे थुणीए… १
सकल तीरथ अवतार सार, बहु गुण भंडार,
पुंडरीक गणधर जब, पाम्या भव पार… २
चैत्री पूनमने दिने अ, कर्म मर्म करी दूर, ते तीरथ आराधिये, दान सुयश भरपूर… ३
सिद्धगिरी का स्तवन
सिद्धाचल न वासी, विमलाचल न वासी,
जिंजी प्यारा, आदिनाथ ने वंदन हमारा,
प्रभुजिनु मुख्दु मलके, नैनोमथी वरसे,
अमीरस धरा, आदिनाथ ने वंदन हमारा…(1)
प्रभुजिनो मुखदु चे मनको मिलकार,
दिल में भक्ति की ज्योत जलाकर,
भजले प्रभुने भावे, दुर्गति कादि ना आवे,
जिनजी प्यारा, आदिनाथ ने वंदन हमारा। …..(2) सिद्धाचल…
अमे तो माया नगर विलासी,
तम चो मुक्ति पुरी न वासी,
कर्म बंधन कापो, मोक्ष सुख आपो,
जिन्जी प्यारा, आदिनाथ ने वंदन हमारा…(3) सिद्धाचल…
भामिने लाख चौरासी हु आव्यो,
पुण्य दर्शन तुम्हारा हु पायो,
धन्य दिवस मारो, भावना फेरा तालो,
जिनजी प्यारा, आदिनाथ ने वंदन हमारा…(4) सिद्धाचल…
अरजी उर्मा धारजो अमारि,
हमने आशा चे प्रभुजी तमारि, काहे हर्ष हवे, सांचा स्वामी तम, वंदन करिये तम, जिनजी प्यारा, आदिनाथ ने वंदन हमारा…(5) सिद्धाचल…
श्री शत्रुंजयतीर्थ थोय
श्री शत्रुंजय आदि जिन आव्या, पूर्व नव्वाणु वारजी,
अनंत लाभ इहां जिनवर जाणी,
समोसर्या निरधारजी,
विमल गिरिवर महिमा मोटो,
सिद्धाचल इण ठामजी,
कांकरे कांकरे अनंता सिध्यां,
एकसो ने आठ गिरिनामजी.. ।। १ ।।