श्री पाक्षिकादि अतिचारश्री पाक्षिकादि अतिचार
|| श्री पाक्षिकादि अतिचार सूत्र || नाणंमि दंसणंमि अ, चरणंमि तवंमि तह य वीरियंमि आयरणं आयारो, ईय एसो पंचहा भणिओ ॥ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार,{...}
|| श्री पाक्षिकादि अतिचार सूत्र || नाणंमि दंसणंमि अ, चरणंमि तवंमि तह य वीरियंमि आयरणं आयारो, ईय एसो पंचहा भणिओ ॥ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार,{...}
।। श्री संतिकरं स्त्रोत ।। संति-करं संति-जिणं, जग-सरणं जय सिरीइ दायारं ।समरामि भत्त-पालग-निव्वाणी-गरुड-कय-सेवं {...}
|| श्री बृहत्-शांति सूत्र || भो भो भव्या! श्रृणुत वचनं, प्रस्तुतं सर्वमेतद्,ये यात्रायां त्रि-भुवन गुरो-रार्हता! भक्ति-भाजः!तेषां शांतिर्भवतु भवतामर्हदादिप्रभावा,दारोग्य-श्री धृति-मति-करी क्लेशविंध्वंस-{...}
।। अजित शांति सूत्र ।। अजिअं जिअ-सव्व-भयं, संतिं च पसंत-सव्व-गय-पावं.जय-गुरु संति-गुणकरे, दो वि जिण-वरे पणिवयामि………………………………..1 गाहा. ववगय-मंगुल-भावे, ते हं विउल-तव-निम्मल-सहावे.निरुवम-मह-प्पभावे,{...}
।। स्नातस्या स्तुति ।। स्नातस्या~प्रतिमस्य मेरु-शिखरे शच्या विभो: शैशवे;रूपा~लोकन-विस्मया~ह्रत -रस-भ्रांत्या भ्रमच्-चक्षुषा ।उन्-मृष्टं नयन-प्रभा-धवलितं क्षिरोदका~शंकया;वक्त्रं यस्य पुनः पुनः स जयति श्री-वर्द्धमानो{...}
।। सकलार्हत्-स्तोत्र ।। सकलाऽऽर्हत् – प्रतिष्ठान~मधिष्ठानं शिव – श्रियः ।भूर् – भुव :-स्वस् – त्रयीशान~मार्हन्त्यं प्रणिदध्महे ।।१।।{...}
|| सकल तीर्थ वन्दना सूत्र || सकल तीर्थ वंदुं कर जोड, जिनवर नामे मंगल क्रोडपहेले स्वर्गे लाख बत्रीश, जिनवर चैत्य नमुं निश-दिश {...}
|| भरहेसर सज्झाय सूत्र || भरहेसर बाहुबली, अभय कुमारो अ ढंढण कुमारोसिरिओ अण्णिआ उत्तो, अइमुत्तो नागदत्तो अ 1 मेअज्ज थूलभद्दो, वयर रिसी नंदिसेण{...}
|| मन्नह जिणाणं सज्झाय सूत्र || मन्नह जिणाणमाणं, मिच्छं परिहरह, धरह सम्मत्तं छव्विह-आवस्सयम्मि, उज्जुत्तो होइ पइ-दिवसं 1 पव्वेसु पोसह-वयं, दाणं सीलं तवो{...}
|| चउक्कसाय सूत्र || चउक्कसाय-पडिमल्लुल्लूरणु, दुज्जय-मयण-बाण-मुसुमूरणुसरस-पियंगु-वन्नु गय-गामिउ, जयउ पासु भुवण-त्तय-सामिउ 1 जसु तणु-कंति-कडप्प-सिणिद्धउ, सोहइ फणि-मणि-किरणा-लिद्धउनं नव-जल-हर-तडिल्लय-लंछिउ, सो जिणु पासु पयच्छउ वंछिउ 2{...}