चामर वींझने का दोहा

चामर वींझने का दोहा

बे बाजुचामर ढाले, एक आगल वज्र उलाले;
जइ मेर धरी उत्संगे, इंद्र चोसठ मलीआ रंगे.
प्रभजीनुं मखु डुं जोवा, भवो भवनां पानतक खोवा……..1.

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