January 17, 2025January 17, 2025 7:48 am
धूप पूजा के दोहे

ध्यान घटा प्रगटावीओ, वाम नयन जिन धूप ।
मिच्छत्त दुर्गंध दूरे टले, प्रगटे आत्म स्वरुप ll
अमे धूपनी पूजा करीए रे, ओ मन-मान्द्या मोहनजी;
अमे धूप-घटा अनसु रीए रे, ओ मन-मान्द्या मोहनजी
नहीं कोइ तमारी तोले रे, ओ मन-मान्द्या मोहनजी
प्रभुअंते छे शरण तमारं रे, ओ मन-मान्द्या मोहनजी…….1.