जल पूजा के दोहे

जल पूजा के दोहे

ज्ञान कलश भरी आतमा, समता रस भरपुर.।
श्री स्जनने नवरावतां, कमय होये चकचूर।।………………………1.

जल पूजा जुगते करो, मेल अनादद ववनाश.
जल पूजा फल मजु होजो, मागो एम प्रभु पास…………….2.

मेर मशखर नवरावे हो सरुपनत, मेर मशखर नवरावे;
जन्द्म काल स्जनवरजी को जाणी, पंच-रूप करी आवे…हो. .1.

रत्न प्रमखु अड जानतना कलशा, औषथध चूरण ममलावे;
खीर समद्रु तीथोदक आणी, स्नात्र करी गणु गावे…हो…….2.

एणी पेरे स्जन-प्रनतमा को न्द्हवण करी, बोथध-बीज मानुं वावे;
अनक्रु मे गणु रत्नाकर फरसी, स्जन उत्तम पद पावे. हो. .3.

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