January 17, 2025January 17, 2025 2:19 pm
पास शंखेश्वरा! सार कर सेवका…
(राग : तार मुज! तार मुज! तार त्रिभुवन धणी…)
पास शंखेश्वरा! सार कर सेवका, देव! कां एवडी वार लागे,
कोडी कर जोडी दरबार अागे खडा, ठाकुरा चाकुरा मान मागे… पास0।।1।।
प्रगट था पासजी, मेली पडदो परो, मोड असुराणने आप छोडो,
मुज महीराण मंजूषमां पेसीने, खलकना नाथजी बंध खोलो… पास ।।2।।
जगतमां देव! जगदीश तुं जागतो, एम शुं आज जिनराज! उंघे;
मोटा दानेश्वरी तेहने दाखीए, दान दे जेह जगकाल मुंघे… पास ।।3।।
भीड पडी जादवा जोर लागी जरा, तत्क्षण त्रिकमे तुज संभार्यो:,
प्रगट पातालथी पलकमां तें प्रभु, भक्तजन तेहनो भय निवार्यो… पास ।।4।।
आदि अनादि अरिहंत! तुं एक छे, दीनदयाल छे कोण दूजो,
‘उदयरत्न’ कहे प्रगट प्रभु पासजी, पामी भयभंजनो एह पूजो… पास ।।5।।