श्री सीमंधरस्वामीजी जिन चैत्यवन्दन
श्री सीमंधरस्वामीजी जिन चैत्यवन्दन
श्री सीमन्धर वीतराग, त्रिभुवन तुमे उपकारी ।
श्री श्रेयांस पिता कुले, बहु शोभा तुमारी १.
धन्य धन्य माता सत्य की, जेणे जायो जयकारी।
वृषभ लंछने विराजमान, वंदे नर नारी २.
धनुष पांचसें देहडी ए, सोहीए सोवन वान।
कीर्ति विजय उवज्झायनो, विनय धरे तुम ध्यान ३.
श्री सीमंधरस्वामीजी जिन स्तवन
सुणो चंदाजी, सीमंधर परमातम पासे जावजो,
मुजविनंतडी, प्रेम धरीने,
एणी पेरे तुमे संभळावजो.. सुणो……
जे त्रण भुवननो नायक छे,
जस चोसठ इन्द्र पायक छे,
ज्ञान दरिसण जेहने लायक छे.. सुणो……
जेनी कंचन वरणी काचा छे,
जस घोरी लंछन पाया छे,
पुंडरीगिणी नगरीनो राया छे.. सुणो……
बार पर्षदामांहि बिराजे छे,
जस चोत्रीस अतिशय छाजे छे,
गुण पांत्रीश वाणीए गाजे छे.. सुणो……
भवि जनने जे पडिबोले छे,
तुम अधिक शीतल गुण सोहे छे,
रूप देखी भविजन मोहे छे.. सुणो……
तुम सेवा करवा रसीयो छुं,
पण भरतमां दूरे वसीयो छुं,
महामोहराय कर फसीयो छुं.. सुणो……
पण साहिब चित्तमां धरीचो छे,
तुम आणा खडग कर ग्रहीयो छे,
पण कांइक मुजथी डरीयो छे.. सुणो……
जिन उत्तम पूंठ हवे पूरो,
कहे ‘पद्मविजय’ थाउं शूरो,
तो वाधे मुज मन अति नूरो.. सुणो……
श्री सीमंधरस्वामीजी जिन थोय
श्री सीमंधर जिनवर, सुखकर साहिब देव,
अरिहन्त सकलनी, भाव धरी करूँ सेव,
सकलागम पारग, गणधर भाषित वाणी,
जयवंती आणा, ज्ञान विमल गुण खाणी ।। १ ।।