नाम प्रतीक वर्ण निर्वाण स्थान 1. ऋषभदेवजी बैल सुवर्ण अष्टापद पर्वत (कैलाश) 2.अजितनाथजी हाथी सुवर्ण सम्मेत शिखर 3. संभवनाथजी घोड़ा{...}
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स्थापनाचार्यजी के प्रतिलेखन के 13 बोलस्थापनाचार्यजी के प्रतिलेखन के 13 बोल
(१) शुद्धस्वरूप के धारक गुरु(२) ज्ञानमय(३) दर्शनमय(४) चारित्रमय(५)शुद्ध श्रद्धामय(६)शुद्ध प्ररूपणामय(७) शुद्ध स्पर्शनामय(८-९-१०) पंचाचार का पालन करे, करावे व अनुमोदन करे(११){...}
पोसहनुं पच्चक्खाणपोसहनुं पच्चक्खाण
करेमि भंते! पोसहं, आहारपोसहं, देसउँ सबढ॥सरीर सकारपोसहं सब ॥बनचेर पोसहं सब ॥ अवावार पोसहं सब ॥ चनविदे पोसहं गमि ॥{...}
धारणा अभिग्रह पच्चक्खाणधारणा अभिग्रह पच्चक्खाण
धारणा अभिग्गहं पच्चक् खाइ (पच्चक् खामि); अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरई (वोसिरामि).{...}
दुविहार पच्चक्खाणदुविहार पच्चक्खाण
दिवसचरिमं पच्चक् खाइ (पच्चक् खामि); दुविहं पि आहारं, असणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरई (वोसिरामि).{...}
तिविहार पच्चक्खाणतिविहार पच्चक्खाण
दिवसचरिमं पच्चक् खाइ (पच्चक् खामि); तिविहं पि आहारं, असणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरई (वोसिरामि).{...}
चउविहार पच्चक्खाणचउविहार पच्चक्खाण
दिवसचरिमं पच्चक् खाइ (पच्चक् खामि); चउव्विहं पि आहारं, असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरई (वोसिरामि).{...}
पाणहार पच्चक्खाणपाणहार पच्चक्खाण
पाणहार दिवसचरिमं पच्चक् खाइ (पच्चक् खामि); अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरई (वोसिरामि).{...}
तिविहार उपवास पच्चक्खाणतिविहार उपवास पच्चक्खाण
सूरे उग्गए अब्भत्तट्ठं पच्चक् खाइ (पच्चक् खामि); तिविहं पि आहारं, असणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं; पाणहार पोरिसि,{...}