यस्यः क्षेत्रं स्तुतियस्यः क्षेत्रं स्तुति

।। यस्यः क्षेत्रं स्तुति ।। यस्यः क्षेत्रं समासृत्या, साधुभिः साध्यते क्रिया।स क्षेत्र-देवता नित्यं,भुयन्नः सुख-दायिनी।1{...}

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आयरिय-उवज्झाए सूत्रआयरिय-उवज्झाए सूत्र

|| आयरिय-उवज्झाए सूत्र || आयरिय-उवज्झाए, सीसे साहम्मिए कुल-गणे अ. जे मे केइ कसाया, सव्वे तिविहेण खामेमि..1. सव्वस्स समण-संघस्स,  भगवओ अंजलिं{...}

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अब्भुट्ठिओमि सूत्रअब्भुट्ठिओमि सूत्र

|| अब्भुट्ठिओमि सूत्र ||इच्छा-कारेण संदिसह भगवन् !अब्भुट्ठिओमि, अब्भिंतर-देवसिअं खामेउं ?इच्छं, खामेमि देवसिअं.जं किंचि अपत्तिअं, पर-पत्तिअं; भत्ते, पाणे;विणए, वेयावच्चे; आलावे, संलावे; उच्चासणे,{...}

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वंदित्तु  सूत्रवंदित्तु  सूत्र

|| वंदित्तु  सूत्र || वंदित्तु सव्व-सिद्धे, धम्मायरिए अ सव्व-साहू अइच्छामि पडिक्कमिउं, सावग-धम्माइआरस्स    1जो मे वयाइयारो, नाणे तह दंसणे चरित्ते असुहुमो व{...}

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अठारह पापस्थान सूत्रअठारह पापस्थान सूत्र

|| अठारह पापस्थान सूत्र || प्रथम प्राणातिपात, द्वितीय मृषावाद,तीसरा अत्ता-दान, चौथा माहिस,पांचवां परिग्रह, छठा क्रोध, सातवांमान, आठवां माया, नौवां लोभ, दसवांराग, बारहवां{...}

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सुगुरु वन्दना सूत्रसुगुरु वन्दना सूत्र

|| सुगुरु वन्दना सूत्र || इच्छामि खमा-समणो! वंदिउं जावणिज्जाए,निसीहिआए, अणुजाणह मे मिउग्गहं, निसीहि,अहो-कायं काय-संफासं-खमणिज्जोभे ! किलामो ? अप्प-किलंताणं बहु-सुभेण भे !दिवसो{...}

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