स्थापनाचार्यजी के प्रतिलेखन के 13 बोलस्थापनाचार्यजी के प्रतिलेखन के 13 बोल

(१) शुद्धस्वरूप के धारक गुरु(२) ज्ञानमय(३) दर्शनमय(४) चारित्रमय(५)शुद्ध श्रद्धामय(६)शुद्ध प्ररूपणामय(७) शुद्ध स्पर्शनामय(८-९-१०) पंचाचार का पालन करे, करावे व अनुमोदन करे(११){...}

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चउविहार पच्चक्खाणचउविहार पच्चक्खाण

दिवसचरिमं पच्चक् खाइ (पच्चक् खामि); चउव्विहं पि आहारं, असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वोसिरई (वोसिरामि).{...}

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मुहपत्ति पडिलेहण के 50 बोलमुहपत्ति पडिलेहण के 50 बोल

१)सूत्र अर्थ तत्व करी सद्द्हूँ २)सम्यक्त्व मोहनीय३)मिश्र मोहनीय४)मिथ्यात्व मोहनीय परिहरुं५)काम राग६)स्नेह राग७)दृष्टि राग परिहरुं८)सुदेव९)सुगुरु१०)सुधर्म आदरुं११)कुदेव१२)कुगुरु१३)कुधर्म परिहरुं१४)ज्ञान १५)दर्शन १६)चारित्र आदरुं १७)ज्ञान{...}

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श्री सीमंधरस्वामीजी जिन चैत्यवन्दनश्री सीमंधरस्वामीजी जिन चैत्यवन्दन

श्री सीमंधरस्वामीजी जिन चैत्यवन्दन श्री सीमन्धर वीतराग, त्रिभुवन तुमे उपकारी ।श्री श्रेयांस पिता कुले, बहु शोभा तुमारी १. धन्य धन्य{...}

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स्वस्तिक पूजा के दोहेस्वस्तिक पूजा के दोहे

दर्शन ज्ञान चारित्रना, आराधनथी सार.सिद्धशलानी उपरे, हो मजु वास श्री कार…………………….1. अक्षत पूजा करतां थकां, सफल करूं अवतार.फल मांगु प्रभु{...}

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