फल पूजा के दोहेफल पूजा के दोहे
इन्द्द्रादीक पूजा भणी, फल लावे धरी राग.पुरुषोत्तम पूजा करी, मागे शिव-फल त्याग…………………1.{...}
Ashtaprakari Pooja
इन्द्द्रादीक पूजा भणी, फल लावे धरी राग.पुरुषोत्तम पूजा करी, मागे शिव-फल त्याग…………………1.{...}
अणाहारी पद में कर्या, विग्गह गई अनंत.दरू करी ते दीजीये, अणाहारी शिव संत …………………..1.{...}
दर्शन ज्ञान चारित्रना, आराधनथी सार.सिद्धशलानी उपरे, हो मजु वास श्री कार…………………….1. अक्षत पूजा करतां थकां, सफल करूं अवतार.फल मांगु प्रभु{...}
शुद्ध अखंड अक्षत ग्रही, नन्द्दावतय ववशाल.परूी प्रभुसन्द्मखु रहो, टाली सकल जंजाल. …………………1.{...}
बे बाजुचामर ढाले, एक आगल वज्र उलाले;जइ मेर धरी उत्संगे, इंद्र चोसठ मलीआ रंगे.प्रभजीनुं मखु डुं जोवा, भवो भवनां पानतक{...}
द्रव्य दीप स-ुवववेकथी, करतां दु:ख होय फोक.भाव प्रदीप प्रगट हुए, भामसत लोका-लोक……………………1.{...}
ध्यान घटा प्रगटावीओ, वाम नयन जिन धूप ।मिच्छत्त दुर्गंध दूरे टले, प्रगटे आत्म स्वरुप llअमे धूपनी पूजा करीए रे, ओ{...}
सुरभि अखंड कुसुम ग्रही, पूजो-गत संताप ।सुमजंतु भव्यज परे, करीओ समकित छाप ।।{...}
जल भरी सम्पुट पत्रमां, युगलिक नर पूजंत,ऋषभ चरण अंगुठड़े, दायक भवजल अंत। १ जानु बङे काउसग्ग रह्या, विचर्या देश विदेश,खड़ा{...}
शीतल गुण जेह मां रह्यो, शीतल प्रभु मुख रंग ।आत्म शीतल करवा भणी, पूजो अरिहा अंग ।।{...}