आयंबिल का पच्चक्खाणआयंबिल का पच्चक्खाण

उग्गए सूरे, नमुक्कार-सहिअं, पोरिसिं, साड्ढपोरिसिं, मुट्ठिसहिअं, पच्चक्खाइ (पच्चक्खामि); उग्गए सूरे चउव्विहं पि आहारं, असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं,{...}

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एकासणा, बियासणा पच्चक्खाणएकासणा, बियासणा पच्चक्खाण

उग्गए सूरे, नमुक्कार-सहिअं, पोरिसिं, साड्ढपोरिसिं,  सूरे उग्गए पुरिमड्ढ, अवड्ढ, मुट्ठिसहिअं, पच्चक्खाइ (पच्चक्खामि); उग्गए सूरे चउव्विहं पि आहारं, असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं,{...}

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पुरिमुट्ढ अवड्ढ का पच्चक्खाणपुरिमुट्ढ अवड्ढ का पच्चक्खाण

सूरे उग्गए अब्भत्तट्ठं पच्चक् खाइ (पच्चक् खामि); तिविहं पि आहारं, असणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं; पाणहार पोरिसि,{...}

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पोरिसि साढपोरिसिका पच्चक्खाणपोरिसि साढपोरिसिका पच्चक्खाण

उग्गए सूरे, नमुक्कार-सहिअं, पोरिसिं, मुट्ठिसहिअं, पच्चक्खाइ (पच्चक्खामि);उग्गए सूरे चउव्विहं पि आहारं, असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसामोहेणं, साहुवयणेणं, महत्तरागारेणं,{...}

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नमुक्कार सहिअम् का पच्चक्खाणनमुक्कार सहिअम् का पच्चक्खाण

उग्गए सूरे, नमुक्कार-सहिअं, पोरिसिं, साड्ढपोरिसिं, सूरे उग्गए पुरिमड्ढ, अवड्ढ मुट्ठिसहिअं, पच्चक्खाइ (पच्चक्खामि); चउव्विहं पि आहारं, असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं,{...}

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श्री पाक्षिकादि अतिचारश्री पाक्षिकादि अतिचार

|| श्री पाक्षिकादि अतिचार सूत्र || नाणंमि दंसणंमि अ, चरणंमि तवंमि तह य वीरियंमि आयरणं आयारो, ईय एसो पंचहा भणिओ ॥ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार,{...}

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श्री संतिकरं स्त्रोतश्री संतिकरं स्त्रोत

।। श्री संतिकरं स्त्रोत ।। संति-करं संति-जिणं, जग-सरणं जय सिरीइ दायारं ।समरामि भत्त-पालग-निव्वाणी-गरुड-कय-सेवं               {...}

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श्री बृहत्‌-शांति सूत्रश्री बृहत्‌-शांति सूत्र

|| श्री बृहत्‌-शांति सूत्र ||  भो भो भव्या! श्रृणुत वचनं, प्रस्तुतं सर्वमेतद्,ये यात्रायां त्रि-भुवन गुरो-रार्हता! भक्ति-भाजः!तेषां शांतिर्भवतु भवतामर्हदादिप्रभावा,दारोग्य-श्री धृति-मति-करी क्लेशविंध्वंस-{...}

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अजित शांति सूत्रअजित शांति सूत्र

।। अजित शांति सूत्र ।। अजिअं जिअ-सव्व-भयं, संतिं च पसंत-सव्व-गय-पावं.जय-गुरु संति-गुणकरे, दो वि जिण-वरे पणिवयामि………………………………..1 गाहा. ववगय-मंगुल-भावे, ते हं विउल-तव-निम्मल-सहावे.निरुवम-मह-प्पभावे,{...}

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स्नातस्या स्तुतिस्नातस्या स्तुति

।। स्नातस्या स्तुति ।। स्नातस्या~प्रतिमस्य मेरु-शिखरे शच्या विभो: शैशवे;रूपा~लोकन-विस्मया~ह्रत -रस-भ्रांत्या भ्रमच्-चक्षुषा ।उन्-मृष्टं नयन-प्रभा-धवलितं क्षिरोदका~शंकया;वक्त्रं यस्य पुनः पुनः स जयति श्री-वर्द्धमानो{...}

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