श्री सिद्धाचलजी के 21 खमासणा के दोहेश्री सिद्धाचलजी के 21 खमासणा के दोहे

सिद्धाचल समरु सदा, सोरठ देश मोझार मनुष्य जन्म पामी करी, वंदु वार हजार ।।१।। अंग वसन मन भूमिका, पूजोपगरण सार{...}

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